प्राकृतिक संसाधन : वे संसाधन जो हमें पृकृति ने दिए हैं और जो जीवों के द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं|
प्राकृतिक संसाधनों का उदाहरण :-
मिटटी, जल, कोयला, पेट्रोलियम, वन्य जीव और वन इत्यादि|
प्रदूषण :- प्राकृतिक संसाधनों का दूषित होना प्रदुषण कहलाता है|
प्रदुषण के प्रकार :
पर्यावरण समस्याएँ :- पर्यावरण समस्याएँ वैश्विक समस्याएँ हैं तथा इनके समाधान अथवा परिवर्तन में हम अपने आपको असहाय पाते हैं इनके लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं विनियमन हैं तथा हमारे देश में भी पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक कानून हैं। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य कर रहे हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन की आवश्यकता :-
संसाधनों के दोहन का अर्थ :- जब हम संसाधनों का अंधाधुन उपयोग करते है तो बडी तीव्रता से प्रकृति से इनका हा्रास होने लगता है। इससे हम पर्यावरण को क्षति पहुँचाते है। जब हम खुदाई से प्राप्त धातु कर निष्कर्षण करते है तो साथ ही साथ अपशिष्ट भी प्राप्त होता है जिनका निपटारा नहीं करने पर पर्यावरण को प्रदूषित करता है। जिसके कारण बहुत सी प्राकृतिक आपदाएँ होती रहती है| ये संसाधन हमारे ही नहीं अपितु अगली कई पिढियों के भी है।
गंगा कार्य परियोजना :- यह कार्ययोजना करोड़ों रूपयों का एक प्रोजेक्ट है। इसे सन् 1985 में गंगा स्तर सुधारने के लिए बनाया गया।
गंगा कार्य परियोजना का उदेश्य :-
जल की गुणवता जाँचने के तरीके :-
तीन R का अर्थ और महत्त्व :- तीन R का अर्थ है (कम करना), (पुन: चक्रण), (पुन: प्रयोग) है|
(कम प्रयोग) :- संसाधनों के कम से कम प्रयोग कर व्यर्थ उपयोग रोक सकते है कम उपयोग से प्रदुषण भी कम फैलता है|
(पुन: चक्रण) :- प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु की वस्तुएँ आदि का (पुनः चक्रण) कर उपयोगी वस्तुएँ बनाना चाहिए। जल्द समाप्त होने वाली संसाधनों को बचाया जा सके और ये पर्यावरण को प्रदूषित न कर सके। यू ही फेंक देने से ये पर्यावरण में प्रदूषण फैलाती हैं।
संपोषित विकास :- संपोषित विकास की संकल्पना से तात्पर्य है ऐसा विकास जो पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए मनुष्य की वर्त्तमान अवश्यकातों की पूर्ति और विकास के साथ साथ भावी संतति के लिए संसाधनों का संरक्षण भी करती है।
संपोषित विकास का उदेश्य :-
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए :
वन्य एवं वन्य जीवन :-
वन जैव विविधता के तप्त स्थल है :- वास्तव में केवल वन ही एक ऐसा स्थल है जिसे जैव विविधता का तप्त स्थल कहा जा सकता है क्योंकि वनों में जैव विविधता के अनेकों उदाहरण संरक्षित है| ये उस स्थल के सभी प्राणीजात और वनस्पति जात को न केवल प्राकृतिक संरक्षण प्रदान करता है अपितु वन उनके वृद्धि और विकास के लिए पोषण प्रदान करता है|
जैव विविधता :- जैव विविधता किसी एक क्षेत्र में पाई जाने वाली विविध स्पीशीज की संख्या है जैसे पुष्पी पादप, पक्षी, कीट, सरीसृप, जीवाणु और कवक आदि।
जैव विविधता के नष्ट होने के परिणाम :- प्रयोगों और वस्तुस्थिति के अध्ययन से हमें पता चलता है कि विविधता के नष्ट होने से पारिस्थितिक स्थायित्व भी नष्ट हो सकता है। क्योंकि किसी पारिस्थितिक तंत्र में उपस्थिति जैव और अजैव घटक उस पारिस्थितिक तंत्र को संतुलन प्रदान करते हैं| जैसे ही ये जैव विविधतता नष्ट होती है पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन उत्पन होता है और यह नष्ट हो जाता है|
तप्त स्थल :- ऐसा क्षेत्र जहा अनेक प्रकार की संपदा पाई जाती है।
दावेदार :- ऐसे लोग जिनका जीवन, कार्य किसी चीज पर निर्भर हो, वे उसके दावेदार होते हैं।
वनों के दावेदार :-
मानव गतिविधियाँ जो वनों को प्रभावित करती हैं :-
अम्लीय वर्षा का वनों एवं कृषि पर प्रभाव :- जब वर्षा होती हैं तो सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड बिजली की चमक के कारण पानी में घुल जाते हैं जो तेजाब के रूप में वर्षा के साथ गिरते हैं इसे अम्लीय वर्षा कहते है। ये कृषि उत्पादकता तथा वन को प्रभावित करते हैं तथा जब ये अम्ल हरे पत्तों पर पड़ते हैं तो पत्ते के साथ साथ पौधा भी सूख जाता हैं।
संसाधनों के दोहन :- जब हम संसाधनों का अंधाधुन उपयोग करते है तो बडी तीव्रता से प्रकृति से इनका ह्रास होने लगता है। इसे ही संसाधनों का दोहन कहते है|
संसाधनों के दोहन से होने वाली हानियाँ :-
चिपकों आन्दोलन :- यह आंदोलन गढ़वाल के 'रेनी' नामक गाँव में 1970 के प्रारम्भिक दशक में हुआ था। लकड़ी के ढेकेदारों ने गाँव के समीप के वृक्षों को काट रहे थे। उस गाँव में उस वक्त पुरूष नहीं थे। इस बात से निडर महिलाँए फौरन वहाँ पहुँच गई और पेड़ो कों अपनी बाहों पकड़कर चिपक गई। अंततः ठेकेदार को विचलित होकर काम रोकना पड़ा। यह आंदोलन तीव्रता से बहुत से समुदायों में फ़ैल गया और सरकार को वन संसाधनों के उपयोग के लिए प्राथमिकता निश्चित करने पर पुनः विचार करने पर मजबूर कर दिया। यह आंदोलन चिपको आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध हैं।
अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार :- अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार भारत सरकार द्वारा जैव सरंक्षण के लिए दिया जाता हैं। यह पुरस्कार अमृता देवी विश्नोई की याद में दिया जाता हैं जिन्होंने 1731 में राजस्थान के जोधपुर के पास खेजराली गाँव में खेजरी वृक्षों को बचाने हेतु 363 लोगों के साथ अपने आप को बलिदान कर दिया।
वनों पर निर्भर उद्योग :- बीडी उद्योग, टिम्बर (इमारती लकड़ी), कागज, लाख तथा खेल के समान आदि|
वनों के संरक्षण में स्थानीय लोगों की भागीदारी :- पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के अराबाड़ी वन क्षेत्र में एक योजना प्रारंभ की। यहाँ वन विभाग के एक दूरदर्शी अधिकारी ए.के बनर्जी ने ग्रामीणों को अपनी योजना में शामिल किया तथा उनके सहयोग से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त साल के वन की 1272 हेक्टेयर क्षेत्र का संरक्षण किया। इसके बदले में निवासियों को क्षेत्र की देखभाल की जिम्मेदारी के लिए रोजगार मिला साथ ही उन्हें वहाँ से उपज की 25 प्रतिशत के उपयोग का अधिकार भी मिला और बहुत कम मूल्य पर ईंधन के लिए लकड़ी और पशुओं को चराने की अनुमति भी दी गई। स्थानीय समुदाय की सहमति एवं सक्रिय भागीदारी से 1983 तक अराबाड़ी का सालवन समृद्ध हो गया तथा पहले बेकार कहे जाने वाले वन का मूल्य 12.5 करोड़ आँका गया।
जल संग्रहण :-
जल संग्रहण :- इसका मुख्य उद्देश्य है भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास करना।
वर्षा जल संचयन :- वर्षा जल संचयन से वर्षा जल को भूमि के अंदर भौम जल के रूप में संरक्षित किया जाता है।
जल संग्रहण की देशी विधियाँ :-
बांध :- बांध में जल संग्रहण काफी मात्रा में किया जाता है जिसका उपयोग सिंचाई में ही नहीं बल्कि विद्युत उत्पादन में भी किया जाता है। बड़े-बड़े नदियों पर बांध बनाकर बहुउद्देश्यीय नदी परियोजनाएँ चलायी जाती है| जिसके कई लाभ हैं|
नदियों पर बाँध :-
बांधों को लेकर विरोध और आन्दोलन :- गंगा नदी पर बना टिहरी बाँध को लेकर कई वर्षों तक आन्दोलन हुआ| नर्मदा बचाओं आन्दोलन हुआ जो नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बाँध को लेकर विरोध हुआ|
बांधों के लाभ :-
बांधों की हानियाँ :-
भौम जल के लाभ :-
1. यह वाष्प बनकर नहीं उड़ता हैं।
2. भौम जल छोटे-छोटे जलाशयों के जल स्तर मे सुधार लाता हैं।
3. पौधों को नमी पहुँचाता हैं।
4. यह मच्छरों एवं जंतुओं के अपशिष्ट से सुरक्षित रहता हैं।
5. यह जल संदूषण से बचा रहता है|
चैक डैम :- चैक डैम जल संग्रहण के लिए अर्धचंद्रकार मिट्टी के गढ्ढे अथवा निचले स्थान पर कंकरीट अथवा छोटे कंकड़ पत्थरों द्वारा बनाए जाते हैं। ये वर्षा ऋतु में पूरी तरह भर जाने वाली नालियाँ या प्राकृतिक जलमार्ग पर बनाए जाते हैं।
जल संभर प्रबंधन :- जल संभर प्रबंधन में मिट्टी एवं जल संरंक्षण पर जोर दिया जाता हैं जिससे कि जैव मात्रा उत्पादन में वृद्धि हो सके। इसका मुख्य उद्वेश्य भूमि एवं प्राथमिक स्त्रोतों का विकास, द्वितीयक संसाधन पौधा एवं जंतुओं का उत्पादन इस प्रकार करना जिसे पारिस्थितिक असंतुलन पैदा ना हो।
जल प्रदुषण का कारण :-
जल प्रदूषण के लिए उत्तरदायी मनुष्यों के क्रियाकलाप :-
कोयला और पेट्रोलियम :-
जीवाश्मी ईंधन :- कोयला और पेट्रोलियम का महत्व
कोयला और पेट्रोलियम जैसे ईंधनों का संरक्षण :-
कोयला और पेट्रोलियम जैसे ईंधनों का संरक्षण की आवश्यकता है क्योंकि
जीवाश्मी ईंधनों के उपयोग के होने वाली हानियां :-
(i) वायु प्रदुषण :- कोयला एवं पेट्रोलियम जैव-मात्रा से बनते हैं जिनमें कार्बन के अतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन एवं सल्फर (गंधक) भी होते हैं। जब इन्हें जलाया (दहन किया) जाता है तो कार्बनडाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा सल्फर के ऑक्साइड बनते हैं।
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(ii) बीमारियाँ :- अपर्याप्त वायु (ऑक्सीजन) में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्थान पर कार्बन मोनोऑक्साइड बनाती है। इन उत्पादों में से नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड विषैली गैसें हैं जिससे कई प्रकार की श्वसन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती है| जैसे - खांसी, दमा और अन्य कई फेंफडे की बिमारियाँ होती हैं|
(iii) वैश्विक ऊष्मन :- कोयला एवं पेट्रोलियम पर विचार करने का एक अन्य दृष्टिकोण यह भी है कि ये कार्बन के विशाल भंडार हैं, यदि इनकी संपूर्ण मात्रा का कार्बन जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो गया तो वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अत्यधिक हो जाएगी जिससे तीव्र वैश्विक ऊष्मण होने की संभावना है।
ऊर्जा खपत बचाने या कम करने के उपाय :-
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 303)
प्रश्न 1 पर्यावरण मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर-
ऐसे ही कई तरीकों को अपनाकर हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं.
प्रश्न 2 संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर- संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि वाली परियोजनाएँ वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। इससे तत्काल भोजन, पानी तथा ऊर्जा की पूर्ति होती है, परंतु यह परियोजना पर्यावरण को क्षति पहुँचा सकती है।
प्रश्न 3 यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन से लाभ लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं से, आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ये संसाधन बचे रहेंगे। यह प्रबंधन लोगों के बीच समान रूप से संसाधनों के वितरण को सुनिश्चित करता है। यह कई वर्षों तक प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करता है, न कि कुछ वर्षों के लिए, जैसा कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में एक कम अवधि के उद्देश्य की परियोजना के मामले में होता है।
प्रश्न 4 क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर- पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों को लोगों के बीच समान रूप से वितरित किया जाना चाहिए ताकि प्रत्येक को संसाधन का हिस्सा मिल सके। मानव का लालच, भ्रष्टाचार और अमीर तथा शक्तिशाली लोगों का प्रभाव, संसाधनों के समान वितरण के खिलाफ काम करने वाली ताकतें हैं।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 308)
प्रश्न 1 हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए? अथवा पर्यावरण में वनों की क्या भूमिका हैं?
उत्तर- वन एवं वन्य जीवन को निम्नलिखित कारणों से सुरक्षित रखना चाहिए-
वन्य जीवन का संरक्षण राष्ट्रीय पार्क तथा पशुओं और पक्षियों के लिए शरण स्थल बनाने से किया जा सकता है। पशुओं का शिकार करने की निषेध आज्ञा का कानून प्राप्त करके किया जा सकता है।
प्रश्न 2 वनों के संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर- वनों के संरक्षण के कुछ उपाय निम्न हैं-
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 311)
प्रश्न 1 अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर- भारत वर्ष के विभिन्न राज्यों में जल संग्रहण की पद्धति (तरीका) भिन्न-भिन्न होती है। यहाँ कुछ राज्यों की पद्धतियाँ निम्न हैं
प्रश्न 2 इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर- पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था-
मैदानी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था-
पठारी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था-
प्रश्न 3 अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए, क्या इस स्रोत से जल क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
उत्तर- हमारे क्षेत्र में पानी का स्रोत भूजल है। इस स्रोत से पानी उस क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों के लिए उपलब्ध है।
अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 314)
प्रश्न 1 अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमे कौन-कौन परिर्वतन सुझा सकतें हैं?
उत्तर- कम उपयोग- इसका अर्थ हैं की आपको कम, से कम वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए करना चाहिए। जैसे- बिजली के पंखे एवचं बल्ब का स्विच बंद कर देना, खराब नल की मरम्मत करना, ताकि जल व्यर्थ टपके आदि
पुन: चक्रण- इसका अर्थ हैं की आपको प्लास्टिक, कागज और धातु की वस्तुओ को कचरे में नही फेकना चाहिए बल्कि उनका उपयोग करना चाहिए
पुन: उपयोग- यह पुन: चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि उसमे भी कुछ ऊर्जा व्यय होती है इसमें हम किसी वस्तु का उपयोग बार-बार कर सकते है
प्रश्न 2 क्या आप अपने स्कूल में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके?
उत्तर- निम्नलिखित परिवर्तनों द्वारा हम अपने स्कूल में पर्यानुकूलित वातावरण बना सकते हैं-
प्रश्न 3 अकेले व्यकित के रूप भिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए किया कर सकते है?
उत्तर- प्राकृतिकं पदों की खपत कम निम्न तरीको से की जा सकती है-
प्रश्न 4 अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं।
उत्तर-
प्रश्न 5 अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर- प्राकृतिक संसाधन जैसे पानी, जंगल, कोयला और पेट्रोलियम आदि मानव के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। निम्नलिखित तरीकों से हम इनकी खपत को कम कर सकते हैं-
प्रश्न 6 निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं-
उत्तर- अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण-
अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है-
प्रश्न 7 इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन-शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे, जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर- हमारे संसाधनों के उपयोग की दिशा में हमें जीवन-शैली में निम्नलिखित परिवर्तनों को शामिल करना चाहिए-