संसूचक :- वे पदार्थ जो अपने रंग में परिवर्तन कर दुसरे पदार्थों के साथ अम्लीय या क्षारकीय व्यवहार करते हैं उन्हें संसूचक कहा जाता है
संसूचक के प्रकार : वैसे तो संसूचक बहुत प्रकार के होते है परन्तु इनके समान्य प्रकार इस प्रकार है :
प्राकृतिक संसूचक :- वे सूचक जो प्राकृतिक स्रोतों के प्राप्त होते है प्राकृतिक संसूचक कहलाते है | जैसे - लिटमस, हल्दी, चाइना रोज, लाल गोभी आदि|
लिटमस :- लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो थैलाफाइटा समूह के लाईकेन के पौधे से निकला जाता है| लिटमस विलयन जब न तो अम्लीय होता है न ही क्षारकीय, तब इसका रंग बैगनी होता है
लिटमस पत्र दो रंगों का होता है - नीला एवं लाल| अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है जबकि क्षार लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है
हल्दी :- हल्दी भी एक अन्य प्रकार का प्राकृतिक सूचक है| यह पीला रंग का होता है, कई बार आपने देखा होगा जब किसी सफ़ेद कपड़ों पर सब्जी का दाग लग जाता है और जब इसे साबुन (क्षारीय प्रकृति) से धोते है तो यह उस दाग के धब्बे को भूरा - लाल कर देता है|
अम्ल के साथ हल्दी के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है|
क्षारक के साथ इसका रंग भूरा - लाल हो जाता है|
संश्लेषित संसूचक :- ये वे सूचक है जो प्राकृतिक नहीं होते अपितु ये रसायनिक पदार्थों द्वारा बनाए गए होते है| जैसे - मेथिल ऑरेंज एवं फिनोल्फ्थेलीन आदि| इनका उपयोग अम्ल एवं क्षारक की जाँच के लिए होता है|
गंधीय संसूचक :- कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है| ऐसे पदार्थों को गंधीय सूचक कहते हैं| जैसे - वैनिला, प्याज एवं लौंग आदि|
सार्वत्रिक सूचक :- सार्वत्रिक सूचक अनेक सूचकों का मिश्रण होता है| लिटमस, मेथिल ऑरेंज एवं फिनोल्फ्थेलीन आदि जैसे सूचकों के उपयोग से किसी विलयन के केवल अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का ही पता लगाया जा सकता है परन्तु इस
सार्वत्रिक सूचक के प्रयोग से अम्ल या क्षारक की प्रकृति के साथ - साथ उनकी प्रबलता की माप का माप भी बताता है|
अम्ल एवं क्षारक का रासायनिक गुणधर्म
अम्ल की धातु से अभिक्रिया :- अम्ल धातु से अभिक्रिया कर संगत धातु की लवण और हाइड्रोजन गैस प्रदान करता है
अम्ल + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस
जिंक के साथ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से जिंक क्लोराइड और हाइड्रोजन गैस बनता है|
2HCl+Zn ZnCl2+H2
(हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (जिंक) (जिंक क्लोराइड) (हाइड्रोजन गैस')
सोडियम के साथ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से सोडियम क्लोराइड और हाइड्रोजन गैस बनता है|
2HCl+2Na 2NaCl+H2
(हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (सोडियम) (सोडियम क्लोराइड) (हाइड्रोजन गैस)
धातु जिंक की सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया से जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन गैस का निर्माण होता है|
H2SO4+Zn ZnSO4+H2
H2 SO4 + Zn → ZnSO4 + H2
(सल्फ्यूरिक अम्ल) (जिंक) (जिंक सल्फेट) (हाइड्रोजन गैस)
हाइड्रोजन गैस की जाँच :- जब हम किसी धातु का किसी अम्ल से अभिक्रिया कराते है तो यह संगत लवण और हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है| अभिक्रिया के इस अवधि के दौरान, जब हम एक जलती हुई मोमबत्ती इस गैस के पास ले जाते है तो यह पॉप ध्वनि उत्पन्न होती है| पॉप ध्वनि यह बताती है कि उत्पन्न गैस हाइड्रोजन है|
धातु कार्बोनेट /धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट के साथ अम्ल की अभिक्रिया :-
चूनापत्थर, चाक और संगमरमर कैल्शियम कार्बोनेट के विभिन्न रूप है|सभी धातु कार्बोनेट और हाइड्रोजनकार्बोनेट अम्ल के साथ अभिक्रिया कर संगत लवण, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है| इस अभिक्रिया का समान्य रूप इस प्रकार है
धातु कार्बोनेट + अम्ल → लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
उदाहरण :
कैल्शियम क्लोराइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर कैल्शियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है|
CaCO3 + 2HCl → CaCl2 + CO2 + H2O
(कैल्शियम कार्बोनेट) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (कैल्शियम क्लोराइड) (कार्बन डाइऑक्साइड) (जल)
नाइट्रिक अम्ल, सोडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया कर सोडियम नाइट्रेट, कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाता है|
2NHO3 + Na2CO3 → NaNO3 + CO2 + 2H2O
(नाइट्रिक अम्ल) (सोडियम कार्बोनेट) (सोडियम नाइट्रेट) (कार्बन डाइऑक्साइड) (जल)
इसी प्रकार ये निम्न अभिक्रिया भी संपन्न होगी:
सोडियम कार्बोनेट + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → सोडियम क्लोराइड + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
कैल्शियम कार्बोनेट + सल्फ्यूरिक अम्ल → कैल्शियम सल्फेट + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट और अम्ल की अभिक्रिया :- समान्य सूत्र
धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट (बाईकार्बोनेट) + अम्ल → लवण + कार्बनडाइऑक्साइड + जल
उदाहरण:
सोडियम बाईकार्बोनेट, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड, और जल बनाता है|
NaHCO3 + 2HCl → NaCl + CO2 + H2O
(सोडियम बाईकार्बोनेट) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (सोडियम क्लोराइड) (कार्बन डाइऑक्साइड) (जल)
धातु एवं क्षारक की अभिक्रिया :- क्षारक धातुओं से अभिक्रिया कर संगत धातु का लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते हैं|
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड जिंक के साथ अभिक्रिया कर सोडियम ज़िन्केट और हाइड्रोजन गैस देता है|
2NaOH(aq) + Zn(s) → Na2 ZnO2(aq) + H2(g)
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (जिंक) (सोडियम ज़िन्केट) (हाइड्रोजन गैस)
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड एल्युमुनियम के साथ अभिक्रिया कर सोडियम एलुमिनेट और हाइड्रोजन गैस देता है|
2NaOH(aq) + 2Al(s) + 2H2O → 2NaAlO2(aq) + 2H2(g)
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (एल्युमीनियम) (जल) (सोडियम एलुमिनेट) (हाइड्रोजन गैस)
उदासीनीकरण अभिक्रिया :-
अम्ल और क्षारक की आपसी अभिक्रिया से लवण और जल का निर्माण होता है इस प्रकार की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं|
उदासनिकरण अभिक्रिया को समान्य सूत्र में इस प्रकार से लिखा जाता है:
क्षारक + अम्ल → लवण + जल
अम्ल और क्षारक की अभिक्रिया
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर साधारण नमक और जल बनाता है|
NaOH(aq) + HCl(aq) → NaCl(aq) + H2O
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (सोडियम क्लोराइड) (जल)
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम नाइट्रेट और जल बनाता है|
NaOH(aq) + HNO3 (aq) → NaNO3 (aq) + H2O
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (नाइट्रिक अम्ल) (सोडियम नाइट्रेट) (जल)
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम सल्फेट और जल बनाता है|
NaOH(aq) + H2SO4 → NaSO4(aq) + H2O
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (सल्फ्यूरिक अम्ल) (सोडियम सल्फेट) (जल)
धातु-ऑक्साइड का अम्लों के साथ अभिक्रिया :- सभी धातु-ऑक्साइड क्षारकीय प्रकृति की होती हैं इसलिए ये अम्ल के साथ अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाती है यह बिल्कुल उदासीनीकरण अभिक्रिया की तरह ही होती है|
आयरन (III) ऑक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर आयरन सल्फेट और जल बनाता है|
Fe2O3 + 3H2SO4 → Fe2 (SO4)3 + 3H2O
(फेरस III ऑक्साइड) (सल्फ्यूरिक अम्ल) ( फेरस सल्फेट) (जल)
कॉपर ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कॉपर क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है|
CuO + 2HCl → CuCl2 + H2O
(कॉपर ऑक्साइड) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (कॉपर क्लोराइड) (जल)
कैल्शियम ऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कैल्शियम क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है|
CaO(aq) + 2HCl(aq) → CaCl2 (aq) + H2O
(कैल्शियम ऑक्साइड) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (कैल्शियम क्लोराइड) (जल)
क्षारक और अधातु ऑक्साइड का अभिक्रिया :- अधातुओं की प्रकृति अम्लीय होती है जो क्षारक से अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाता है, यह अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया के समान ही होता हैं|
क्षारक + अधात्विक ऑक्साइड → लवण + जल
सोडियम हाइड्रोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर सोडियम कार्बोनेट और जल देता है|
2NaOH(aq) + CO2 (g) → Na2CO3(s) + H2O
(सोडियम हाइड्रोक्साइड) (कार्बन ऑक्साइड) (सोडियम कार्बोनेट) (जल )
लवण :- लवण अम्ल एवं क्षारक के उदासीनीकरण अभिक्रिया का आयनिक उत्पाद है|
अम्लीय लवण :- अम्लीय लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होता है|
अम्लीय लवण: NH4Cl
HCl + NH4OH → NH4Cl + H2O
(प्रबल अम्ल) (दुर्बल क्षारक) (अम्लीय लवण)
उदासीन लवण :- उदासीन लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है|
उदासीन लवण: NaCl
HCl + NaOH → NaCl + H2O
(प्रबल अम्ल) (प्रबल क्षारक) (उदासीन लवण)
क्षारकीय लवण :- क्षारकीय लवण प्रबल क्षारक एवं दुर्बल अम्ल की आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है|
क्षारकीय लवण: NaC2H3O2
HC2H3O2 + NaOH → NaC2H3O2 + H2O
(दुर्बल अम्ल) (प्रबल क्षारक) (क्षारकीय लवण)
तनुकरण :- जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर आयन की सांद्रता (H3O+/ OH-) में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है| इस प्रक्रिया तो तनुकरण कहते हैं| अम्ल और क्षारक को तनुकृत किया जाता है|
pH स्केल :- किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित किया गया है जिसे pH स्केल कहते हैं| इस स्केल में 1 से 14 तक अंक अंकित रहते है जो किसी अम्ल या क्षारक की प्रबलता और दुर्बलता के साथ-साथ उनके मान की बताता है| यह एक प्रकार का सार्वत्रिक सूचक होता है|
हाइड्रोनियम आयन की सांद्रता जीतनी अधिक होगी उसका pH उतना ही कम होगा|
किसी भी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होगा|
यदि pH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है तो यह अम्लीय होगा| 7 से कम होने पर H+ आयन की सांद्रता बढती है| अर्थात अम्ल की शक्ति बढ़ रही है|
यदि pH का मान 7 से अधिक है वह क्षार होगा| 7 से अधिक होने पर OH-
की की सांद्रता बढती है अर्थात क्षारक की शक्ति बढ़ रही है|
प्रबल अम्ल :- जिस विलयन में अधिक संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं|
दुर्बल अम्ल :- जबकि कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलायेंगे| जिस विलयन में OH- आयन अधिक संख्या में होते हैं उसे प्रबल क्षारक कहते हैं|
दुर्बल क्षारक :- जिस विलयन में OH- संख्या में होते हैं उन्हें दुर्बल क्षारक कहते हैं|
हमारा रक्त 7.35 - 7.45 pH परास के बीच कार्य करता है जो औसतन pH मान 7.4 होता है|
यदि रक्त का pH मान 7.45 से अधिक हो जाता है ऐसी अवस्था का एल्केलोसिस कहते है और यदि रक्त का pH का मान 7.35 से कम हो जाता है, ऐसी अवस्था को एसिडोसिस कहते हैं|
दैनिक जीवन में pH का महत्व :-
रक्त और हमारा शरीर :- हमारा शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच कार्य करता है। जीवित प्राणी केवल संकीर्ण pH परास (परिसर) range में ही जीवित रह सकते हैं। वर्षा के जल की pH मान जब 5.6 से कम हो जाती है तो वह अम्लीय वर्षा कहलाती है।
अम्लीय वर्षा की हानियाँ :- अम्लीय वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता है तो नदी के जल के pH का मान कम हो जाता है। ऐसी नदी में जलीय जीवधारियों की उत्तरजीविता कठिन हो जाती है।
मिटटी की अम्लीयता :- कई बार किन्ही कारणों से अथवा अम्लीय वर्षा के कारण मिटटी का pH मान कम हो जाने से इस भूमि से अच्छी उपज नहीं मिलती है, चूँकि अच्छी उपज के लिए पौधों को एक विशिष्ट pH परास की आवश्यकता होती है| मिटटी में अम्लीय गुण बढ़ जाने से पौधों को नुकसान पहुँचता है, जिससे फसल अच्छी नहीं होती है|
मिटटी के pH परास को ठीक करने से उपाय :- मिटटी के अम्लीयता ख़त्म करने के लिए मिटटी में चाकपाउडर या चूना मिलाया जाता है ताकि इसकी अम्लीयता ख़त्म करके मिटटी की प्रकृति क्षारीय बन जाय|
अम्लीय माध्यम में भोजन का पचना :- pH का महत्व हमारे आमाशय से उत्पन्न हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) से भी है| यह भी एक विशिष्ट pH पर उदर (पेट) को बिना हानि पहुँचाये भोजन के पाचन में सहायता करता है| समान्यत: हमारा उदर का pH परास लगभग 1.5 - 3.5 के बीच कार्य करता है| इनमें भी ये निम्न दो स्थितियाँ होती हैं|
अल्प अम्लता :- कुछ व्यक्तियों में HCl का स्राव बहुत कम होता है जिससे उनके भोजन नहीं पचता अथवा कम पचता है| ऐसी अवस्था को अल्प - अम्लता (अपच) कहते है| ऐसे व्यक्ति को अपने भोजन के साथ अम्लीय पदार्थ जैसे निम्बू या सिरका लेना पड़ता है, अथवा पाचक-रस उत्पन्न करने वाली औषधीयाँ लेना पड़ता है|
अति-अम्लता :- उदर में अत्यधिक अम्ल उत्पन्न होने की स्थिति में व्यक्ति उदर में दर्द एवं जलन का अनुभव करता है| इस दर्द या जलन से मुक्त होने के लिए ऐन्टासिड लेना पड़ता है|
(प्रति-अम्ल औषधि) :- ऐन्टासिड अम्ल के प्रभाव को कम करने वाले दुर्बल क्षारक होते है | जैसे - मिल्क ऑफ़ मैग्नेशिया (मैग्नेशियम हाइड्रोऑक्साइड), एल्युमीनियम हाइड्रोऑक्साइड तथा सोडियम हाइड्रोऑक्साइड जैसे दुर्बल क्षारक ऐन्टासिड के संघटक में शामिल होते है| ये अम्लीय प्रभाव को उदासीन कर देते हैं|
दन्त-क्षय :- समान्यत: मुँह का pH 5.5 रहता है | यदि इसका मान 5.5 से कम हो जाए तो दन्त-क्षय प्रारंभ हो जाता है| दाँतों का इनैमल (दत्तवल्क) कैल्शियम फोस्फेट का बना होताहै जो शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है| यह दाँतों की बाहर से बचाव करता है| जब मुँह का pH 5.5 से कम हो जाता है तो यह धीरे-धीरे संक्षारित होने लगता है|
मुँह का pH कम होने का कारण :- जब हम भोजन या कोई मीठी चीज खाते हैं तो भोजन के पश्चात् मुँह में अवशिष्ट शर्करा एवं खाद्य पदार्थ रह जाते है जिस पर मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया उसका निम्नीकरण करते है और उससे अम्ल उत्पन्न करते है| यह अम्ल इनेमल को नष्ट कर देता है जो दंत-क्षय का प्रमुख कारण बनता है|
दन्त-क्षय से बचाव :- भोजन के बाद मुँह साफ करने से इससे बचाव किया जा सकता है। मुँह की सफाई के लिए क्षारकीय दंत-मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप दंत क्षय को रोका जा सकता है।
क्लोर-क्षार प्रक्रिया :- जब सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) के जलीय विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो यह वियोजित होकर सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, क्लोरीन गैस और हाइड्रोजन गैस प्रदान करता है| इस प्रक्रिया को क्लोर-क्षार प्रकिया कहते हैं|
इस प्रक्रिया का रासायनिक समीकरण निम्न है :
2NaCl(aq) + 2H2O(l) → 2NaOH(aq) + Cl2 (g) + H2(g)
सोडियम क्लोराइड का विद्युत अपघटन :- जब सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन से विद्युत प्रवाहित की जाती है तो इसके एनोड से क्लोरीन गैस और कैथोड से हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है| सोडियम हाइड्रोऑक्साइड विलयन इसके कैथोड के पास बनता है|
क्लोर-क्षार प्रक्रिया के उत्पाद :-
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड
क्लोरीन गैस
हाइड्रोजन गैस
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड का उपयोग :-
इसका उपयोग धातुओं से ग्रीज हटाने के लिए किया जाता है|
साबुन और अपमार्जक बनाने में किया जाता है|
इसका उपयोग कागज बनाने में भी किया जाता है|
और इसका उपयोग कृत्रिम फाइबर बनाने में किया जाता है|
क्लोरीन गैस का उपयोग :-
क्लोरीन गैस का उपयोग जल की स्वच्छता के लिए किया जाता है|
स्विमिंग पूल में
PVC, CFCs और कीटाणुनाशक बनाने ने किया जाता है|
और इसका उपयोग रोगाणुनाशक बनाने में भी किया जाता है|
हाइड्रोजन गैस का उपयोग :-
इसका उपयोग ईंधन के लिए किया जाता है|
इसका उपयोग मार्गरीन बनाने के लिए किया जाता है|
और इसका उपयोग खाद के लिए अमोनिया बनाने के लिए किया जाता है|
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उत्पादन :- क्लोरीन और हाइड्रोजन क्लोर-क्षार प्रक्रिया के महत्वपूर्ण उत्पादन है, जिनका उपयोग हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के उत्पादन में किया जाता है| हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक महत्वपूर्ण रसायन है जिसका उपयोग निम्न पदार्थों के उत्पादन में किया जाता है|
दवाइयों के निर्माण में,
सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण में,
अमोनियम क्लोराइड के निर्माण में और
इस्पात के सफाई के लिए प्रयोग होता है|
विरंजक चूर्ण का उत्पादन :- क्लोर-क्षार प्रक्रिया से प्राप्त क्लोरीन और सुखे बुझे हुए चूने की क्रिया से विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है|
इस प्रक्रिया का रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O
विरंजक चूर्ण का उपयोग :-
वस्त्र उद्योग में सूती एवं लिनेन के विरंजन के कागज़ की पैफक्ट्री में लकड़ी के मज्जा एवं लाउंड्री में साफ कपड़ों के विरंजन के लिए
कई रासायनिक उद्योगों में एक उपचायक के रूप में, एवं
पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए रोगाणुनाशक के रूप में
बेकिंग सोडा का उत्पादन :- इस यौगिक का रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट (NaHCO3) है। कच्चे पदार्थों में सोडियम क्लोराइड का उपयोग कर इसका निर्माण किया जाता है।
इसका रासायनिक समीकरण निम्न है
NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl + NaHCO3
(अमोनियम क्लोराइड) (सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट)
इस प्रकिया के दो महत्वपूर्ण उत्पाद है (i) अमोनियम क्लोराइड और (ii) बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा का उपयोग :-
सोडा का उपयोग आमतौर पर रसोईघर में स्वादिष्ट खस्ता पकौड़े बनाने के लिए किया जाता है।
कभी-कभी इसका उपयोग खाने को शीघ्रता से पकाने के लिए भी किया जाता है।
यह एक दुर्बल क्षारक भी है जिसका उपयोग कई बार अति-अम्लता की स्थिति में की जाती है | यह ऐन्टैसिड का संघटक भी है|
इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता है|
इसका उपयोग बेकिंग पाउडर को बनाने में किया जाता है|
खाना पकाते समय जब इसे गर्म किया जाता है तो निम्न अभिक्रिया होती है:
बेकिंग पाउडर का निर्माण :- बेकिंग सोडा एवं टार्टरिक अम्ल जैसा मंद खाध्य अम्ल के मिश्रण से बेकिंग पाउडर का निर्माण होता है|
जब बेकिंग पाउडर को जल में मिलाकर गर्म किया जाता है तो यह कार्बन डाइऑक्साइड जल और अम्ल का सोडियम लवण प्रदान करता है जिसकी निम्न अभिक्रिया होती है :
NaHCO3 + H+ → CO2 + H2O + अम्ल का सोडियम लवण इस अभिक्रिया से कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होता है जो ब्रेड या केक को फुलाने, स्पोंजी बनाने या मुलायम बनाता है |
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 20)
प्रश्न 1 आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारीय विलयन है। यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थो की पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर- अगर लाल लिटमस पेपर का रंग नीले रंग में बदल जाता है, तो यह एक क्षार है और अगर कोई रंग परिवर्तन नहीं होता है, तो यह या तो अम्लीय या आसवित जल है। इस प्रकार, क्षार विलयन की आसानी से पहचान की जा सकती है।
A, B और C के रूप में तीन परखनलियों को चिह्नित करें। A में से विलयन की एक बूंद लाल लिटमस पेपर पर डालते हैं। विलयन B और C के साथ भी यही दोहराते हैं। यदि इनमें से कोई भी लाल रंग को नीले रंग में परिवर्तित करता है, तो यह क्षार है। इसप्रकार, तीन में से, एक की पहचान हो गई है।
शेष दो में से कोई भी अम्लीय या आसवित जल हो सकता है। अब क्षार विलयन की एक बूंद शेष दो विलयनों में से प्रत्येक की एक बूंद के साथ मिश्रित करते हैं और फिर मिश्रण की बूंदों की प्रकृति की जांच करते हैं। अगर मिश्रण का रंग नहीं बदलता है, तो दूसरा दूसरा विलयन आसवित जल है और अगर रंग में कोई परिवर्तन होता है, तो दूसरा विलयन अम्लीय है। क्योंकि अम्लीय और क्षारीय विलयन एक-दूसरे को बेअसर कर देते हैं।
इस प्रकार, हम तीन प्रकार के विलयनों के बीच भेद कर सकते हैं।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 24)
प्रश्न 1 पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?
उत्तर- पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ इसलिए नहीं रखने चाहिए क्योंकि दही में मौजूद लैक्टिक अम्ल होते है। जो पीतल एवं ताँबे के बर्तनों से अभिक्रिया करके हानिकारक (विषैला) यौगिक बनाते है। जिसके कारणवश ये खाने लायक नहीं रह जाते है।
प्रश्न 2 धातु के साथ अम्ल कि अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन सी गैस निकलती है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए। इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे?
उत्तर- धातु के साथ अम्ल कि अभिक्रिया होने पर सामान्यतः हाइड्रोजन गैस निकलती है|
2NaOH + Zn = Na2ZnO2 + H2
जाँच- जलती हुई मोमबती को परखनली के मुंह के पास ले जाने पर फट–फट अर्थात् पॉप ध्वनि उत्पन्न होती है।
प्रश्न 3 कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है। यदि उत्पन्न यौगिकों में एक से कैल्सियम क्लोराइड हैं, तो इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर- धातु के यौगिक ‘A’ CaCO3 (कैल्सियम कार्बौनेट) है।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 27)
प्रश्न 1 HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं?
उत्तर- HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में H+आयन बनता है जिसके कारण ये अम्लीय अभिलक्षण को प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों के विलयनों में H+आयन नहीं बनता है जिसके कारण ये अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं।
प्रश्न 2 अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?
उत्तर- अम्ल का जलीय विलयन विद्युत का चालन करता है क्योंकि अम्ल जलीय विलयन में H+आयन उत्पन्न करता है जिसके कारण ये विद्युत् धारा का प्रवाह होता है।
प्रश्न 3 शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है?
उत्तर- अम्ल जलीय विलयन में विघटित होकर हाइड्रोजन आयन (H+) उत्पन्न करते हैं जो उनकी अम्लीयता के अभिलक्षण को प्रदर्शित करते हैं। शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस और शुष्क लिटमस पत्र दोनों में ही जल का आभाव होने के कारण हाइड्रोजन आयन उत्पन्न नहीं हो पाते हैं। इसलिए शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती है।
प्रश्न 4 अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में?
उत्तर- अम्ल को तनुकृत करते समय यह अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल क्योंकि जल को सांद्र अम्ल में मिलने से वह तीव्र अभिक्रिया कर विस्फोट करते है। इसके कई दुष्परिणाम हो सकते है। इसलिए हमें कभी भी जल को अम्ल में नहीं मिलाना चाहिए बल्कि हमें अम्ल को जल में मिलाना चाहिए।
प्रश्न 5 अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन H3O+ की संlद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है?
उत्तर- अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H3O+) की सांद्रता कम होने लगती है। जैसे-जैसे हम उसमे जल की मात्रा बढ़ाते है, उसमें प्रति इकाई आयतन में हाइड्रोनियम आयन (H3O+) की मात्रा कम होने लगती है और अम्ल की अम्लीयता घट जाती है।
प्रश्न 5 जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में अधिक क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH–) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर- क्षार में हाइड्रॉक्साइड आयन (OH-) की सांद्रता अधिक होती है। इसलिए जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते है तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH-) की सांद्रता और अधिक हो जाती है।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 31)
प्रश्न 1 आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं। विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का मान 8 है। किस विलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय?
उत्तर- यदि विलयन के pH का मान 7 से अधिक है तो वह क्षारीय है और यदि pH का मान 7 से कम है तो वह अम्लीय है। इसलिए विलयन 'A' अम्लीय है और विलयन 'B' क्षारीय है। अम्लीय विलयन में हाइडोजन आयन की सांद्रता अधिक होती है इसलिए विलयन 'A' में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है।
प्रश्न 2 आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- जैसे– जैसे हाइड्रोजन आयन H+ (aq) आयन कि सांद्रता बढती है विलयन और अधिक अम्ल होता है।
प्रश्न 3 क्या क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होते हैं?
उत्तर- क्षारकीय विलयन में H+ (aq) आयन भी होते हैं परन्तु इनकी सांद्रता OH- (aq) आयन की सांद्रता से बहुत कम होती है। OH-(aq) आयन की सांद्रता अधिक होने के कारण ही ये क्षारीय होते है।
प्रश्न 4 कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?
उत्तर- कोई किसान खेत की मृदा की अम्लीय परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग मिट्टी को उदासीन बनाने के लिए करेगा।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 36)
प्रश्न 1 CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?
उत्तर- CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम विरंजक चूर्ण है।
प्रश्न 2 उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
उत्तर- शुष्क बुझा हुआ चूना क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
प्रश्न 3 कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है?
उत्तर- कठोर जल को मृदु करने के लिए सोडियम कार्बौनेट जिसे धोने का सोडा भी कहते है।
प्रश्न 4 सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए|
उत्तर- सोडियम हाइड्रोजनकॉर्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर यह सोडियम कॉर्बोनेट, जल तथा कॉर्बन डाईऑक्साइड बनता है।
प्रश्न 5 प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर- प्लास्टर ऑफ़ पेरिस CaSO4.12H2O जल के साथ अभिक्रिया करके जिप्सम [CaSO4.2H2O] बनता है।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 37-39)
प्रश्न 1 कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभवतः क्या होगा?
1
4
5
10
उत्तर-
10
प्रश्न 2 कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी को दुधिया कर देती है। इस विलयन में क्या होगा?
NaCl
HCl
LiCl
KCl
उत्तर-
HCl
स्पष्टीकरण-
क्योंकि अंडे के पिसे हुए कवच में कैल्सियम कार्बोनेट [Caco3] होता है जो HCl से क्रिया करके कार्बन डाइआक्साइड गैस उत्पन्न करता है। कार्बन डाइआक्साइड गैस चूने के पानी को दुधिया कर देती है।
प्रश्न 3 NaOH का 10ml विलयन, HCl के 8ml विलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH के उसी विलयन का 20ml लें तो इसे उदासीन करने के लिए HCl के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
4ml
8ml
12ml
16ml
उत्तर-
16ml
स्पष्टीकरण-
क्योंकि जिस अनुपात में क्षार है उसी अनुपात में अम्ल मिलाने से पूर्णतः उदासीन हो जाता है।
प्रश्न 4 अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस औषधि का उपयोग होता है?
एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
एनालजेसिक (पीड़ाहारी)
ऐन्टैसिड (प्रतिअम्ल)
एंटीसेप्टिक (सडनरोधी)
उत्तर-
ऐन्टैसिड (प्रतिअम्ल)
स्पष्टीकरण-
क्योकि ऐन्टैसिड पेट में अम्ल की अधिकता को कम करता है।
प्रश्न 5 निम्न अभिक्रिया के लिए पहले शब्द-समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण लिखिए-
तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लौह के रेतन के साथ अभिक्रिया करता है।
उत्तर-
प्रश्न 6 एल्कोहोल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिको में भी हाइड्रोजन होते है लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल कि तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए।
उत्तर- ग्लूकोज़, ऐल्कोहॉल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सल्फ्रयूरिक अम्ल आदि का विलयन लीजिए। एक कॉर्क पर दो कीलें लगाकर कॉर्क को 100mL के बीकर में रख दीजिए। अब किलों को 6 वोल्ट की एक बैटरी के दोनों टर्मिनलो के साथ एक बल्ब तथा स्विच के माध्यम से जोड़ दीजिए। अब बीकर में थोड़ा तनु HCl डालकर विद्युत धारा प्रवाहित कीजिए। इसी क्रिया को तनु सल्फ्रयूरिक अम्ल के साथ दोहराइए। एल्कोहोल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिको में भी हाइड्रोजन होते है लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल कि तरह नहीं होता है क्योंकि ये H+ आयन नहीं बनाता है।
प्रश्न 7 आसवित जल विधुत का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है?
उत्तर- आसवित जल एक शुद्ध रूप है और यह किसी भी प्रकार आयनों से मुक्त होता है। विध्युत के संचालन के लिए आयनों की आवश्यकता होती है इसलिए, यह विध्युत का संचालन नहीं करता है। जबकि वर्षा का जल शुद्ध नहीं होता है। इसमें वातावरण की आंशिक अशुद्धियाँ मिली हुई होती है। अतः यह विध्युत का संचालन करता है।
प्रश्न 8 जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?
उत्तर- अम्ल जलीय विलयन में विघटित होकर हाइड्रोजन आयन (H+) उत्पन्न करते हैं जो उनकी अम्लीयता के अभिलक्षण को प्रदर्शित करते हैं। जल की अनुपस्थिति के कारण हाइड्रोजन आयन उत्पन्न नहीं हो पाते हैं। इसलिए जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता है।
प्रश्न 9 पाँच विलयनो A, B, C, D व E की जब सार्वत्रिक सूचक से जांच कि जाती है तो pH के मान क्रमशः 4, 1, 11, 7 एवं 9 प्राप्त होते है।
कौन सा विलयन-
उदासीन है?
प्रबल क्षारीय है?
प्रबल अम्लीय है?
दुर्बल अम्लीय है?
दुर्बल क्षारीय है?
pH के मानो को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर-
H+ आयन की सांद्रता जैसे-जैसे बढती है pH का मान उसी प्रकार घटता है।
C < E < D < A < B
प्रश्न 10 परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए। परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा परखनली ‘B’ में ऐसिटिक अम्ल (CH3COOH) डालिए। किस परखनली में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों?
उत्तर- परखनली 'A' में, (जिसमे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है) अधिक तेज़ी से (हाइड्रोजन गैस निकलने के कारण) बुदबुदाहट होगी क्योंकि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, ऐसिटिक अम्ल से अधिक क्रियाशील अम्ल है।
प्रश्न 11 ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर pH के मान में क्या परिवर्तन होगा? अपना उत्तर समझाइए।
उत्तर- ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है। इसलिए दही के pH का मान 6 से कम होगा।
प्रश्न 12 एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
ताजा दूध के pH का मान 6 से बदल कर थोडा क्षारीय क्यों बना देता है?
इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?
उत्तर-
जब दूध अधिक अम्लीय हो जाता है तो वह खाने पीने योग्य नहीं रहता है। ताजा दूध समय के साथ-साथ अम्लीय होता रहता है। इसलिए ग्वाला ताजे दूध में थोडा बेकिंग सोडा (क्षार) मिला देता है ताकि दूध अम्लीय होने में अधिक समय ले और ज्यादा समय तक दूध सुरक्षित रहे।
यह दूध, ताजे दूध से अधिक क्षारीय है। इसलिए इस दूध को दही (अम्लीय) बनने में अधिक समय लगता है।
प्रश्न 13 प्लास्टर ऑफ़ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर- प्लास्टर ऑफ़ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में इसलिए रखा जाना चाहिए क्योंकि यह आर्द्रता की उपस्थिति में जल को अवशोषित कर ठोस पदार्थ जिप्सम बनाती है। जिसके कारण इसमें जल के साथ मिलकर जमने का गुण नष्ट हो जाता है।
प्रश्न 14 उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदहारण दीजिए।
उत्तर- जब कोई क्षार, अम्ल से अभिक्रिया करता है तो लवण तथा जल बनता है। इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण- सोडियम हाइड्रोक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके साधारण नमक तथा जल बनता है।
मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके मैग्नीशियम क्लोराइड तथा जल बनता है।
प्रश्न 15 धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए।
उत्तर-
धोने का सोडा के उपयोग-
सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज उद्यगो में होता है।
इसका उपयोग बोरेक्स जेसे सोडियम योगिक के उत्पादन में होता है।
सोडियम कार्बोनेट का उपयोग घरों में साफ-सफाई के लिए होता है।
जल की स्थाई कठोरता को हटाने के लिए इसका उपयोग होता है।
बेकिंग सोडा के उपयोग-
बेकिंग सोडा का उपयोग खाने कि चीजो को मुलायम, स्पंजी एवं खस्ता बनाने के लिए किया जाता है।
बेकिंग सोडा के क्षारिय होने के करण ये पेट में अम्ल की मात्रा की अधिकता को कम या उदासीन करके राहत पहुचाने के लिए उपयोग किया जाता है।
कभी-कभी इसका उपयोग खाने को शीघ्रता से पकाने के लिए भी किया जाता है।
इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता है।